उमड़ पड़ी है यादें फिर समय सीमायें लाँघ ,
बंद हो पलकें , है मिलन की ये मांग ,
क्योंकि फिर देखा है तुम्हें ,
पलकों की पगडंडियों पर
दबे पैर , हाँथ लिए प्रेम चिराग,
छवि , आहट छेड़ देती है प्रेम राग,
है कदम चूमने को आतुर , उन्मत्त मन,
पलकों की पगडंडियों पर
आज भी तुम भूली नही मेरी पसंद,
तन पर डाले नीली चुनर , गाती हो मंद-मंद ,
सोचा! कर लूँ क़ैद , तुम्हारी जीवित छवि को,
पलकों की पगडंडियों पर
साँझ ढली, आई है लालिमा आंखों में उतर ,
रोक कर रक्त प्रवाह, हृदय की ओर अग्रसर,
प्रेम दिवाकर उदित करने तुम ,
पलकों की पगडंडियों पर
अब व्याकुल हो गया मन मिलन को,
डूबकर आँखों में तुम्हारी,
भूल जाऊं विछोह की तड़पन को,
आ जाऊं त्याग कर देह- संसार,
पथराई पलकों की पगडंडियों पर
फिर! मझधार में चली गयी , छोड़कर तुम ,
साथ निभाने की शपथ, तोड़कर तुम,
स्वप्न टूटा , पलकें खुली ,
तुम हो गई गुम ,
पलकों की पगडंडियों पर
वर्षों बीते तुम्हारी मृत्यु को ,
फिर भी तुम जीवित हो,
मिलन वचनों को निभाती हुई ,
प्रेम आस दृढ़ कराती हुई,
मेरी पलकों की पगडंडियों पर
फिर वही कराहता ज़र्ज़र मन,
सपनों में ढूँढता अपनापन ,
आश्रू प्रवाह में डूबती पलकें ,
आस लगाए, तुम फिर आओगी ,
पलकों की पगडंडियों पर
-------दिनांक : २९ जून 2000
Friday, March 30, 2007
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4 comments:
I wonder who your muse is... :)
आज भी तुम भूली नही मेरी पसंद,
तन पर डाले नीली चुनर , गाती हो मंद-मंद
possibly the best line. [:D]
उमड़ पड़ी है यादें फिर समय सीमायें लाँघ ,
बंद हो पलकें , है मिलन की ये मांग ,
क्योंकि फिर देखा है तुम्हें ,
पलकों की पगडंडियों पर
gud one:)
thanks divine, push and anupama.
i don't think my muse will so soon :).
"sath nibha ke jayegi,
har kasam nibhwa ke jayegi,
jo thode sar pe bache hain
unko ukhad ke jayegi" :)
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