मेरे मन की अनुभूति,
मेरी आशाओं की रेखाकृती,
सफल मुक्त सा आभास,
मेरी कल्पना, मेरा विश्वास,
यूँही, सपनो के आकाश में,
मिला मैं आज अपने भविष्य से ।
नन्हा सा, कोमल सा,
पलता मेरे मन में ,
जैसे आजन्म शिशु हो मतृ तन में,
ढूँढता - खोजता अपने आकर को,
मन की गहराई में,
लालसा की तनहाई में,
मेरा भविष्य, वो मेरा कल!
आवाज़ में कम्पन,
माथे पे शिकन,
चमकता सर, लटकती उदर,
ढलती उमर, झूलती क़मर ,
ये तो बस एक झलक थी,
और डरने को बहुत था बाकी,
यूँही! मिला मैं आज मिल अपने भविष्य से ।
वोही दिन, वोही रात,
वोही धरती, वोही आकाश,
बस सारी दुनिया ही बदल गयी!
वो बचपन की प्यारी दुनिया,
बस यादों में है हमारी दुनिया ,
यूँही , बस यूँही ।
मेरा बस एक सवाल "क्या तुम खुश हो?",
और जवाब में वो चिन्ता के अम्बार,
आज भी व्याकुल हूँ, कल भी चिंतित होऊंगा ।
मेरा भविष्य मैंने ऐसा तो ना सोचा है ।
यूँही, आज मिल मैं अपने भविष्य से।
दिनांक : ७ मई २००२ ।
Sunday, April 8, 2007
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