Sunday, April 15, 2007

मैं जन्म, जीवन व मृत्यु का आधार चाहता हूँ ।

मैं जन्म, जीवन व मृत्यु का आधार चाहता हूँ ।
मैं भारत भूमी पर जन्म बारम्बार चाहता हूँ ।

विश्व का तिलक,
भूमी का आभूषण,
मतृत्व का भूषन,
और भारत का चहुमुखी विस्तार चाहता हूँ ।
मैं जन्म, जीवन व मृत्यु का आधार चाहता हूँ ।


लोगों का कोमल स्नेह,
वृधों का आशीर्वाद,
गॉव की हरियाली,
शहर की आकर,
और भारत माता का प्यार चाहता हूँ ।

हिमालय की ऊंचाई,
मानवता की गहराई,
गंगा की पवित्रता,
आत्म की स्वच्छता,
और भारत भूमि पर जन्म लेकर,
अपना उद्धार चाहता हूँ।
मैं जन्म, जीवन व मृत्यु का आधार चाहता हूँ ।

सत्य का आकाश,
भारत का विकास ,
मानवता का प्रकाश,
और इस धर्मनिरपेक्ष भूमि पर ईश्वर का वास चाहता हूँ।

मैं भारतीयता का सम्मान ,

बहुमुखी संकृति का आंचा,

की सौंधी खुशबु

माता की चरण धूलि चाहता हूँ,

मैं जन्म, जीवन व मृत्यु का आधार चाहता हूँ ।





5 comments:

Kapil Dev said...

very nice post...after a long period of time i read such a nice composition in hindi.
keep posting such a nice post...

Akki said...

This poem is really good Manish.

Mahima said...

beautifully written

Mahima said...

beautifully written

MOHABBAT KHAN said...

khub pyari kavita hai lekin usme bharat aur bhartiya sanskriti ke dayre se azaad hoti to aur pyari ho jati. sari insaniyat ke liye